Chandigarh PU Students Union Elections
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चंडीगढ़ पीयू छात्र संघ चुनाव: एसएसयूआई के बागी अनुराग दलाल ने जीता प्रधान पद

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Chandigarh PU Students Union Elections- चंडीगढ़ (साजन शर्मा)I पंजाब विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव में इस मर्तबा बड़ा उलटफेर हो गया। एनएसयूआई के बागी चेयरमैन सिकंदर बूरा के उम्मीदवार और स्टूडेंट फ्रंट नाम से एक नया छात्र संगठन बनाकर चुनाव में उतरे अनुराग दलाल ने प्रधान पद पर बड़ी जीत दर्ज की। अनुराग दलाल को कुल 3433 वोट मिले जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी सीवाईएसएस के प्रिंस चौधरी को 3130 मत मिले। तीसरे नंबर पर एबीवीपी की अर्पिता मलिक (1114) रही और चौथे पर सोई के तरुण सिद्धू को 1061 और एनएसयूआई के प्रत्याशी राहुल नैन को मात्र 497 वोट मिले। निर्दलीय प्रत्याशी मुकुल भी एनएसयूआई के प्रत्याशी से ज्यादा 501 मत ले गये। पीएसयू ललकार की साराह शर्मा को 221 और एएसएफ की अलका को 205 वोट मिले। चुनाव में छात्रों ने किसी पार्टी को नहीं बल्कि उम्मीदवारों को जिताया। प्रधान पद पर अनुराग को विजयी बना दिया तो उप-प्रधान पर एनएसयूआई को और सचिव  पद पर इनसो व संयुक्त सचिव के पद पर एबीवीपी को जिता दिया।

सिकंदर बूरा ने कर दी थी बगावत

एनएसयूआई के चेयरमैन सिकंदर बूरा ने 28 अगस्त को सेक्टर-35 के कांग्रेस कार्यलाय में आयोजित प्रेस कान्फ्रेंस में मीडिया के सामने ही राहुल नैन के प्रधान पद के लिये नाम के प्रस्ताव को नकार दिया था और मंच से ही इसे दिल्ली से आया तुगलकी फरमान बताकर खारिज कर दिया था और पार्टी को खुली चुनौती दे दी थी। कांग्रेस और पार्टी के छात्र विंग की कमान संभाल रहे नेताओं के खिलाफ बूरा का यह एक साहसी कदम था जिसे उन्होंने अपने कैंडीडेट को जिताकर साबित भी कर दिया। बताया जाता है कि चंडीगढ़ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एचएस लक्की और दिल्ली से कुछ नेताओं द्वारा तीन नाम तय किये गये थे जिनमें एबीवीपी से आये राहुल नैन, अनुराग दलाल और अर्चित गर्ग का नाम शामिल था। जैसे ही सिकंदर बूरा को राहुल के नाम की घोषणा करने को कहा गया तो वे बिफर गये क्योंकि वे अर्चित गर्ग या अनुराग दलाल को प्रधान पद का उम्मीदवार बनाना चाहते थे। उन्होंने मंच से ही बगावत कर इस्तीफा दे दिया और अपना उम्मीदवार उतार दिया। बाद में एचएस लक्की ने अनुराग दलाल का नाम हटा दिया और राहुल नैन व अर्चित गर्ग को प्रधान व उप-प्रधान का उम्मीदवार घोषित कर दिया। बगावत के बाद धरातल पर काम कर रहे करण रंधावा, मौजी लुबाणा और सनम भी सिकंदर के पक्ष में आ खड़े हुए। एनएसयूआई के साथ एचएस लक्की के अलावा निवर्तमान कौंसिल प्रधान जतिंदर और सचिन गालव ही रह गये।  एनएसयूआई के पैनल पर खड़े अर्चित गर्ग भी सिकंदर बूरा के ही चहेते उम्मीदवार थे और दोनों में से किसी एक को प्रधान पद का उम्मीदवार बनाना चाहते थे लेकिन पार्टी ने एबीवीपी से आये राहुल नैन का नाम आगे कर दिया। बागी होने के बावजूद बूरा ने अर्चित गर्ग को भी वोट डलवाये।

एनएसयूआई के अर्चित गर्ग बने उप प्रधान

उप-प्रधान पद पर एनएसयूआई के अर्चित गर्ग 3631 वोट लेकर विजयी रहे। दूसरे नंबर सत्थ के करणदीप (2596) रहे। एबीवीपी के अभिषेक कपूर को 1936 और यूएसओ के करण भट्टी को 1567 जबकि शिवानी को 136 मत मिले।

सीवाईएसएस के विनीत यादव सचिव बने

सचिव के पद पर सीवाईएसएस के पैनल पर खड़े इनसो के विनीत यादव ने जीत का परचम लहराया। उन्हें 3298 मत मिले जबकि दूसरे नंबर पर रहे सोपू के जश्नप्रीत को 2596 वोट मिले। एबीवीपी के शिवनंदन रिखी को 961 वोट ही मिले।

संयुक्त सचिव पद पर एबीवीपी जीती

संयुक्त सचिव पद एबीवीपी को जीत मिली। जस्सी राणा ने 3489 वोट लेकर जीत दर्ज की जबकि एचपीएसयू के 2705 मत लेकर दूसरे स्थान पर रहे। आईएसओ के तेजस्वी दलाल को 1008 वोट मिले जबकि पुसू के अमित बंगा को 1073, एचएसए के शुभम को 659 और एनएसयूआई के यश कपासिया को 892 वोट मिले। प्रधान पद के लिये नोटा पर 87 वोट, उप-प्रधान पर 591, सचिव पर 631 और संयुक्त सचिव पद पर 621 मत डले। 

जीत के बाद अनुराग बोले- श्रेय सिकंदर बूरा को

पीयू कैंसिल अध्यक्ष बनने के बाद अनुराग दलाल ने कहा कि उकी जीत का पूरा श्रेय सिकंदर बूरा को जाता है जिस तरह से उन्होंने बगावत करके पूरा जिम्मा अपने ऊपर ले लिया और रणनीति के तहत जीत दिलायी। इसके अलावा अनुराग दलाल ने कहा कि पीयू के सभी वोटर छात्रों के भी वे आभारी हैं जिन्होंने उस पर भरोसा जताया। उन्होंने कहा कि वे छात्र हितों की लड़ाई मिलकर लड़ेंगे और सभी मसलों को हल करायेंगे। जीत की खबरें आने के बाद एनएसयूआई और बागी सिकंदर बूरा के गुट आमने-सामने हो गये और काफी देर तक नारेबाजी और उकसावे वाले स्लोगन लगाये गये मगर मुस्तैद पुलिस ने कोई अनहोनी होने से टाल दी और हुड़दंगियों को वहां से भगा दिया।

एकजुट होते तो चारों पद एनएसयूआई जीतती:बूरा

जीत के बाद एनएसयूआई के बागी चेयरमैन सिकंदर बूरा ने कहा कि अनुराग दलाल को प्रधानी जिताने के अलावा सचिन गर्ग को भी उनकी ओर से सहयोग था क्योंकि एनएसयूआई के पैनल के लिये दोनों नाम उनकी ओर से प्रस्तावित थे और वे हिम्मत रखते थे कि पूरा पैनल जिताकर लाते। उन्होंने कहा कि दोनों प्रत्याशियों में दम था, अगर पार्टी एकजुट होकर लड़ती तो चारों पदों पर उनकी ही जीत होती।